एक गुडिया की कई कठपुतली में जान है
आज शायर,ये तमाशा देख कर हैरान है
खाश सड़क बंद है तब से मरमत के लिए
ये हमारे वक़्त की की सबसे सही पहचान है
एक बुढा आदमी है मुल्क में या यूँ कहो
इस अँधेरी कोठेरी में एक रोशनदान है
मर्सल्हत आमेजे होते है सियासत के कदम
तू न समझेगा सियासत तू अभी इंसान है
इस कदर पाबन्दी-ए-महजब की सदके आपके
जब से आजादी मिली है मुल्क में रमजान है
मुझमें रहते है करोडो लोग चुप कैसे रहू
हर गजल अब सल्तनत के नाम एक बयान है!!!
रचनाकार का नाम लिख दिया कीजिए! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteकाव्यशास्त्र (भाग-3)-काव्य-लक्षण (काव्य की परिभाषा), आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
aakhir kee do panktiyo me to lagta hai har samvedansheel vykti kee atmaa hee basatee hai....
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