Wednesday, September 22, 2010

दीवार हुआ चाँद..

रात जब तुझको देखा तो शर्मसार हुआ चाँद
तारों की तरह टूट के दो चार हुआ चाँद..

आँखें भी जलीं, दिल भी जला, मैं पिघल गया
ख्वाबों की झुलस नें कहा अंगार हुआ चाँद..

राहों में तुम्ही तुम थे, बदलता रहा सफर
थक हार गये, डूबे, मझधार हुआ चाँद..

वादे भी नहीं याद, इरादों में धुंध सी
मतलब के यार मेरे, सरकार हुआ चाँद..

मैं मुझसे मिल के रूठा “सिद्धार्थ” तुम न आये
तुम हो तुम्हें मुबारक, दीवार हुआ चाँद..

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