Saturday, September 25, 2010

सल्तनत के नाम एक बयान

एक गुडिया की कई कठपुतली में जान है
आज शायर,ये तमाशा देख कर हैरान है
खाश सड़क बंद है तब से मरमत के लिए
ये हमारे वक़्त की की सबसे सही पहचान है
एक बुढा आदमी है मुल्क में या यूँ कहो
इस अँधेरी कोठेरी में एक रोशनदान है
मर्सल्हत आमेजे होते है सियासत के कदम
तू न समझेगा सियासत तू अभी इंसान है
इस कदर पाबन्दी-ए-महजब की सदके आपके
जब से आजादी मिली है मुल्क में रमजान है
मुझमें रहते है करोडो लोग चुप कैसे रहू
हर गजल अब सल्तनत के नाम एक बयान है!!!

2 comments:

  1. aakhir kee do panktiyo me to lagta hai har samvedansheel vykti kee atmaa hee basatee hai....

    ReplyDelete