जब दुनिया की सबसे लम्बी नदी के
अंतिम छोर पर
सूरज डूबता होगा
और दूर तलक रेत ही रेत होगी
जब कोई नहीं होगा आसपास
जब आसमान में कही कही
धुनकी रुई की तरह
सफ़ेद बादल होंगे
छितराए हुए
जब हौले से चलती हवा
हर तरफ फैली
हलके से छुकर
ख़ामोशी का एहसास कराएगी
जब मन में यूँ ही
कुछ गुनगुनाने का ख्याल आएगा
और फिर भी हम चुप रहेंगे
चुप कर मुस्कुराएंगे
जब पुरे जिस्म
में एक अजीब सी हरासत होगी
और मन यूँ ही मचल मचल जायेगा
जब तुम्हारी अंगुलियाँ की छुवन
तुम्हरे पास होने का एहसास कराएगी
हमारी आँखें बंद होगी
और हमारे सपने एक हो जायेंगे
उस दिन......
तुम्हारे लिए नया सवेरा होगा!!!!!
वाह क्या खयाल है!
ReplyDelete