Sunday, October 3, 2010

आदते हमारा चरित्र बनती है!!!!

हम सभी सफल जिन्दगी जीने के लिए पैदा हुए है,मगर हमारी आदत और माहौल हमको असफलता की और ले जाते है,हमारा जनम जीत के लिए हुआ है,मगर माहौल की वजह से हमने हारना सीख लिया है,हम अक्सर ऐसी बात करते है और सुनते है की उस आदमी की किस्मत अच्छी है,मिटटी को छु दे तो वो सोना बन जाती है,या फिर वो बदकिस्मत है वो कुछ भी छुए मिटटी हो जाती है,मगर ये सच नहीं है,अगर आप जांचे -परखे तो पाएंगे की जाने अनजाने सफल लोग अपने हर काम में वोही गलती दोहराते है ,याद रखे,मेहनत से प्रुनता नहीं आती,बल्कि सिर्फ सही जगह मेहनत करने से से ही प्रुनता आती है,मेहनत हर उस काम को स्थायी बना देती है,कुछ लोग अपने गलतियों से ही सीख लेते है,जिन्हें हम बार बार करते है,कुछ लोग अपनी गलतियों को सुधारते है,और वो उसी काम में परफेक्ट हो जाते है,इसलिए वो गलतियाँ करने में माहिर हो जाते है,और गलतियाँ उनके वाय्वाहर में खुद-ब-खुद आने लगती है,वाव्सयिक लोग अपना काम आसानी से इसलिए कर जाते है क्यूंकि उन्होंने उस काम में महारत हासिल कर रखी है,बहुत से लोग काम सिर्फ तरकी को दिमाग में रख कर करते है,लेकिन वे जिनकी अच्छा काम करने की आदत बन जाती है ,वोही तरकी के असली हकदार है,किसी चीज की आदत डालना खेती करने के समान है,इसमें समय लगता है,ये वक्ति के अपने अन्दर से उपजती है,एक आदत दूसरी आदत को जनम देती है,अन्तप्रेरना एक वक्ती से काम शुरु कराती है,प्रेरणा उसे सही राह पर बनाये रखती है और आदत की वजह से स्थायी रूप ले लेती है,और काम खुद-ब-खुद होता चला जाता है,जब हम खुद को एक बार झूठ बोलने की छुट दे देते है,तो अगली बार झूट बोलना आसान हो जाता है,तीसरी बार थोडा और आसान और फिर आदत बन जाती है,सफलता की फिलोसफी है -कायम रहे और सयम बरते हमारे सोचने का तरीका भी आदत का एक हिस्सा बन जाता है,हम आदत बनाते है और आदत हमारा चरित्र बनता है इससे पहले की आप आदत को अपनाने की सोचे, आदत आपको आना चुकी होती है,हमें सही सोचने की आदत डालने की जरुरत है,किसी ने सच कहा है :-हमारे विचार काम की तरफ ले जाते है,काम से आदत बनती है,आदतों से चरित्र बनता है और चरित्र से भविष्य बनता है....

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