जिन्दगी को पूरी तरह से
जीने की कला भला किसे आती है ?
कही ना कही जिन्दगी में हर किसी के
कोई ना कोई कमी तो रह जाती है ?
प्यार का गीत गुनगुनाता है हर कोई
दिल की आवाजो का तराना सुनता है हर कोई ,
आसमान पर बने इन रिश्तो को निभाता है हर कोई ,
फिर भी हर चेहरे पर वो ख़ुशी क्यूँ नहीं नजर आती है!
पूरा प्यार पाने में कुछ तो कमी रह जाती है .....
हर किसी की जिन्दगी में
कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है !
दिल से जब निकलती है कविता
पूरी ही नजर आती है ,
पर कागजो पर बिछते ही वो क्यूँ अधूरी सी हो जाती है ,
शब्दों के जाल में भावनाए उलझ सी जाती है ,
प्यार,किस्से,कविता सिर्फ दिलो को बहलाते है
अपनी बात समझने में कुछ तो कमी रह जाती है !
हर किसी की निगाहे,मुझे क्यूँ किसी
नयी चीजो को तलाशती नजर आती है,
सब कुछ पा कर भी एक प्यास सी आखिर क्यूँ रह जाती है !
जिन्दगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है ....
सम्पूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है ?????
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