Saturday, October 9, 2010

पर मैंने ऐसा नहीं किया!!!!!!

मैं उस दिन आपकी तरफ देख कर मुस्कुराया.....
मैंने सोचा आप मेरी तरफ देखेंगी,पर आपने ऐसा नहीं किया!

मैंने कहा 'मैं आपसे प्यार करता हू"
और इन्तजार किया की आप भी यही कहेंगे.....
मैंने सोचा आप मेरी बात सुन लेंगे,पर आपने ऐसा नहीं किया!!!
मैंने आपसे कहा की बाहर आकर मेरे साथ बैट-बाल खेले
मैंने सोचा की आप मेरे पीछे पीछे आयेंगे ,पर आपने ऐसा नहीं किया!

मैंने एक तस्वीर बनायीं,सिर्फ आपको दिखाने के लिए....
मैंने सोचा आप इससे संभाल कर रखेंगे
पर आपने ऐसा नहीं किया !!!
मुझे कुछ बातें करने के लिए विचार बताने की जरुरत थी.....
मैंने सोचा आप सुनना चाहेंगे,पर आपने ऐसा नहीं किया!
मैंने पुरे किशोरावस्था में आपके करीब आने की कोशिश की....
मैंने सोचा आप भी करीब आना चाहेंगे,पर आपने ऐसा नहीं किया!!!
मैं युद्ध में देश की तरफ से लड़ने गया,आपने मुझे सुरषित घर लौटने
को कहा
पर मैंने ऐसा नहीं किया!!!!!!

3 comments:

  1. सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
    या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
    नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

    मरद उपजाए धान ! तो औरत बड़ी लच्छनमान !!, राजभाषा हिन्दी पर कहानी ऐसे बनी

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  3. पर मेरा मानना है काश आप वापस ज़रूर आते ... देश सेवा का मौका जितनी बार मिले कम है ...

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