विरह का वेदना से सम्बन्ध दिल
आज समझ पाया है क्या
लिखा था आँखों में तुम्हारी मन
आज ये पढ़ पाया है दिल ही दिल मे
की भक्ति को हम भी अपना नमन दे पाते,
एक बार जो तुम आ जाते..
जुदाई ने आकर समझाया
ये रिश्ता जो दिल ने दिल से बाँध लिया था
अब तुम्हारे लिये तरसता ये दिल
तब क्यूं ना तुमने इज़हार किया था
मन के आँगन में प्रेत से भटकते ख्वाब
सारे मोक्ष पा जाते, एक बार जो तुम आ जाते..
Not Mine This poem is belong to sonal srivastava
जब खुद उस दौर से गुजारते हैं तभी एहसास होता है...अच्छी रचना
ReplyDeleteSangeeta ji aur janduniaya ji aapne tarif kiya iske liye aapka dhanyawaad.......
ReplyDeleteye shyaad sonal ji ki rachna hai sir iska shrey aap na le kripya agar kavita se pyaar hai to use likhne vaale ki bhavnaao ka sammaan kare.
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