Wednesday, July 14, 2010

हमने मुस्कुराना सीखा है

जिंदगी के हर गम को भूल हमने मुस्कुराना सीखा है



गुलो का तसुव्वर देख हमने मुस्कुराना सीखा है



बदलते रुत से हमने ये जिंदगी जीना सीखा है.



जो गम मिले जिंदगी में उसे हमने भुलाना सीखा है



दूर कंही मिलते है ज़मी आसमान उनसे उम्मीद जगाना सीखा है



साहिल और समंदर को देख हमने इठलाना सीखा है



यूँ तो हर कोई खुद को गम में डूबा देता है



दरिया की मौजो से हमने आगे बाद जाना सीखा है



मिट्टी की सोंधी खुशबु से गुलशन को महकाना सीखा है



गमो को भूला हमने खुद को ख़ुशी की बारिश में भिगोना सीखा है.....

No comments:

Post a Comment