Monday, July 12, 2010

आँखें

नील गगन सी नीली आँखें
आँखों पर हैं कितनी आँखें

यूँ तो मटके में पानी था
प्यासी मर गई बूढी आँखें

कोर चिड़ी ने भी ना खाया
आँखों में थी नन्ही आँखें

डिग्री की सीढ़ी थी फिर भी
ठेठ कूए में डूबी आँखें

मंदिर मस्जिद माँ की छाती
क्या जानेगी अंधी आँखें

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