Thursday, April 8, 2010

"महताब"

दिल क्या चीज है जानम ये जान तुम्हारी है
तेरी बाहों में दम निकले हसरत ये हमारी है
इन्जार तेरा करते करते आँखें थक सी गयी है
आओगे वापस लौट कर सोचकर ये उम्र गुजारी है
जाये कहा जहा में कोई नहीं है मीत अपना
"महताब" भी छिप गया बादल में
ये रात अन्धयारी है
जब भी आँख खोलू सामने हो तेरा चेहरा
दिल के आईने में तस्वीर तुम्हारी है
तेरी यादों में पलभर दूर रहा नहीं कभी
साथ रहेंगे उमरभर तमन्ना ये हमारी है
कैसे करू इजहार मोहोब्बत का तुझसे
दिल क्या चीज है जानम ये जान तुम्हारी है!!!!!

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