Thursday, April 8, 2010

आज से तेरा गुलाबो की तरफ जाना मना

आज से तेरा गुलाबो की तरफ जाना मना
इस हवा का उस तरफ की खुसबू लाना मना
डाल से तोड़े गए हो हुकुम है हँसते रहो
धुप में रहना पड़ेगा और मुरझाना मना
पाँव की एड़ी तलक अंगुली जानी चाहिए
पाँव में कोई बिवाई है तो सहलाना मना
इस धुएं पर ठितुराते हाथ गर्माते रहो
इस अलाव में सुलगती आग धधकाना मना
मेरे घर में रोशनी का चर्चा जुर्म है
मेरी चाट पर चांदिनी का गौर फरमाना मना
कैद में है बुलबुल मेरी सयैद की ताकीद है
आज से रोना मना आज से गाना मना.......

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