Thursday, April 22, 2010

खिलौना

किस तरह यकीं दिलाऊ में
याद रखु न भूल पाऊ में
चंद लब्जो ने साथ छोड़ दिया
प्यार भला कैसे जताऊ मैं
अपनी नजरो से पूछ कर देखो
क्या बचा है जिसे छुपाऊ में
दोस्ती हो गयी है आंधी से
रोशनी किस लिए बचाऊ में
दिल है टुटा हुआ सा ऐ हम दम
क्या खिलौना तुझे थमाऊ में

No comments:

Post a Comment