देहियाँ के आपन, हिस्सा , बेगान हो गइल ।
एगो बाँहि कटल भारत के, पाकिस्तान हो गइल ।।
जब, देश के, सपुतवे, एके आजा़द करौवलें ।
तब जाते-जात फिरंगी , तीर अइसन छोड़ि गइलें ।
सोनवा के ई चिरइया, लहलुहान, हो गइल ।
एगो बाँहि कटल भारत के, पाकिस्तान हो गइल ।।
मजहब, के नाव लेके, भाई - भाई, लड़ि गइलें ।
राजनीति करे वाले , एगो , चीन्हा खींच गइलें ।।
देश, बाँटे वाला , लोगवा, त महान हो गइल ।
एगो बाँहि कटल भारत के, पाकिस्तान हो गइल ।।
रिश्ता, सुधारे खातिर, किरकेटो, खेलावल गइल ।
दुन्नू ओर से शान्ती के, बसवो चलावल गइल ।।
ई देखि के, अमेरिका , परेशान हो गइल ।
एगो बाँहि कटल भारत के, पाकिस्तान हो गइल ।।
ई काश्मीर मुद्दा , भी रही ना अझुराइल ।
झगरा मिटा दी सगरो, अब प्यार के मिसाइल ।।
ई "अनूप" के कलम से, एलान, हो गइल ।
एगो बाँहि कटल भारत के, पाकिस्तान हो गइल ।।
देहियाँ के आपन, हिस्सा , बेगान हो गइल ।
एगो बाँहि कटल भारत के, पाकिस्तान हो गइल ।।
Not Mine This poem is belong to anup bhai......
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