Thursday, April 29, 2010

चुपके चुपके.....


पहले जो रहते थे सवालो में आज वोही सामने आये जवाबो में हमने पहल कुछ न की थी दिल में वो सरीक हुए चुपके चुपके आँखों से उनका मुस्कुराना अनबुझ सी बातें बताना जाहिर था उनका सर्माना राज बताये चुपके चुपके...... चाहत के धागों में बंध कर खवाहिश के आकाश में उड़कर दिल की बातों में छुप छुप कर वो मुझे बतलाये चुपके चुपके आज दिल सरफ़रोश हुआ जाये फ़ना की कशिश में लुटा जाये फलक समेटने को जी चाहे मन मदहोश हुआ जाये सांसें रोकू मैं चुपके चुपके.....

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