Thursday, April 22, 2010

मुवाफिक हो गयी

कैसी कैसी हस्तियाँ आखिर जमी में सो गयी
कैसी कैसी सूरते मिटटी की आखिर हो गयी
फिर भी पावन ही रही वो फिर भी निर्मल ही रही
सारे जग का मैल गंगा जी की लहरें धो गयी
वो मेरे बचपन के दोस्त वो मेरा दोस्ताना
जाने किस नगरी गए किस देश जाकर खो गए
देख लेना एक दिन फसले उगेगी दर्द की
दिल की धरती में मिरी आँखें जो आंसू बो गए
तुम भी आ जाओ हमारा हाल तुम भी देख लो
बदलिय आकर हाल पर रो गए
पूजते है हम उसे मंदिर की मूरत की तरह
अपनी आँखें उसके पैरो में लिपट कर सो गयी
नफरतो के मौसम की बादसाहत है दोस्त
अब जबाने भी कटारो के मुवाफिक हो गयी..........

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