Tuesday, April 6, 2010

एक दबी हुई आवाज़...........

रात के सन्नाटे में
आता है कोई शख्स
हो जाता है
सृजन में मग्न
वह
भी
निर्वस्त्र
मै भी नग्न

दो छोटे साये और भी
निद्रालीन
बिस्तर
पर ........

रख चला जाता है
शख्स कुछ मेरे हाथ पर
जाने
मेरा
मेहनताना
या फ़र्ज़ सात फेरे का

मेरे और शख्स का
बस रात
का
नाता है
शायद इसीलिए वह
मेरा शौहर कहलाता है ?????????

साये
और
शख्स का
रिश्ता क्या
पता नहीं
पर, मै कोई... व...ेश्या नहीं !!!!!!!
मै
तो
एक दबी हुई आवाज़ हूँ ............

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