रात की तीरगी मिटाने के लिए
जल गया घर दिया जलाने के लिए
तेज बारिश से बच सकू कैसे
चार तिनको के आशियाने के लिए
शर्म आती है उनको जाने क्यूँ?
नाम लेकर मुझे बुलाने में
कुछ हवा की भी शरारत है
रुख से तेरा नकाब हटाने में
हाथ क्या आये जख्मे गम के सिवा
एक पत्थर से दिल लगाने में
दिल की दुनिया बदल गयी है "दोस्तों"
उनके एक बार मुस्कुराने में........
bahut khub
ReplyDeleteshekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com
Thanks Shekhar and sanjay ji jo aapko pasand aayi meri rachna.......
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