Thursday, April 8, 2010

पत्थर

घास और फूल से खेलता बच्चा

कलकल छल छल पानी को छेड़ता बच्चा

स्तन का दुध पीता बच्चा

धीरे धीरे इस पत्थर की दुनिया में

पत्थर होता जा रहा है

दुःख पत्थर का,सुख पत्थर का

और गढ़ता जा रहा है

सबोरोज पत्थर का इतिहास

बालू के दुह पर

खड़ी है मेरे देश की छोटी बच्ची

सोच रही है

की किस आलीसान बिल्डिंग में

नानी मिलेगी !!!!!!!!

उसे क्या पता इस सहर में होती दुनिया में

की नानियाँ जिन्दा है अब भी

घरो को पत्थर से गढ़ते हुए !!!!!!!!!!!!

1 comment:

  1. घुमावदार-सी लगी पर अच्छी थी......."

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