Sunday, April 25, 2010

कोई भी न मिल सका


सहरा न दस्त और न गुलजार तक गए
निस्बत थी यार से तो दरेयार तक गए
समां सुकूने दिल का कोई भी न मिल सका
सौ बार हम भी दोस्तों बाजार तक गए
मुल्को की सरहदों का परिंदे को इल्म क्या
इस पार आगये कभी उसपर तक गए
था पूछना जो हाल मेरा मुझ से पूछते
बेवजह गुल के पास गए खार तक गए
"सिद्धार्थ"फिर उनकी खबर छप नहीं सकी
देने बया जो दफ्तरे अखबार तक गए!!!!!!!!

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