दोस्ती थी दुश्मनी थी और प्यार था
और हमारे बीच में अखबार था
हम न जिसको लाँघ पाए
प्यार अपना चीन का दिवार था
जब तलक बाए था पत्याशी था मैं
दाये बाजु आकर मैं सरकार था
देह की सीमा के भीतर थी घुटन
और बाहर जिस्म का बाजार था
जिस उजाले की हमें दरकार थी
वो उजाला रोशनी के पार था
जिस किसी ने भी खुदा की खोज की
वो दिमागी तौर पर बीमार था........
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