Thursday, April 22, 2010

कब आओगी ..?


कब आओगी ..?

जिंदगी से लढ़ सकता हु मै
तेरे कदमो में ला सकता हु मै ..
दूर क्षितिज तक भी मेरी नजरे है
जमीं को आंसमा से मिला सकता हु मै...
जहाँ भी जाऊ
पर तेरी निगाह रख मुझ पे
जो भी करू हासिल
तेरा हक रख मुझ पे
ना मिल सके गर जिंदगी में कभी...
तेरे दिल की सींप में
यादो के मोती संजोये रख ..

कैसे बताऊँ जानम
तुम क्या हो मेरे लिए
रेगिस्तान में भटके हुवे प्यासे की एक बूंद हो तुम
रूह से निकली हुवी सरगम हो तुम
एकांत में ली हुवी समाधी हो तुम
अक्स में समायी हुवी जान हो तुम..

क्यों नहीं आती हो मेरे पास
हमेशा के लिए ...तुम ..?

3 comments:

  1. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

    ReplyDelete
  2. please see original poem by its creator
    http://sajidshaikhpoems.blogspot.com
    Mr. Siddhart why you are posting all my poems in your name ?

    ReplyDelete
  3. please see original poem by its creator
    http://sajidshaikhpoems.blogspot.com
    Mr. Siddhart why you are posting all my poems in your name ?

    ReplyDelete